Thursday, December 15, 2022

Stopping Time

What if I were to tell you,

That we can stop the flow of time,

That moment when we click a picture,

We actually win a race against time.


Years and years will pass by,

But that picture will never age,

The emotions preserved in the picture,

Would forever provide us solace.


What if I were to tell you,

That there exists, one more way to stop time,

When we meet a long lost friend,

The clocks forget to chime.


Their mere existence completes us

Like a harmony completes its rhyme,

That part of us which we have lost, 

In their memories of us, we find.


Years and years will pass by,

But for them we will never age,

The bond that we share with them,

Has the purity of a prayer offered by sage.


Like a picture is worth a thousand words,

A moment spent with them is worth a lifetime,

I have gradually started believing now

That we can stop the flow of time. 

Wednesday, September 1, 2010

सपने


बादल के एक कोने में, पलकों को अपनी मूँद,
अपनी बारी का इंतज़ार करती , थी मैं एक छोटी सी बूँद.

जा मिलना था मुझे उस गिरती बारिश के साथ,
पहुँचना था धरा, करनी थी सपनों से बात.

घूमना था ख़ानाबदोश सा मुझे, बनके नदिया का पानी,
या फिर सागर के तल जा, सुलझानी थी कोई कहानी.

या  बनना था जीवन मुझे, किसी खेत में उगती अलसी का,
या बुझानी थी प्यास किसी मुसाफ़िर की, बन शीत जल एक कलसी का.

या बनके कूची का कोई रंग, देनी थी किसी तस्वीर को आवाज़,
या समा के बीच इक जलतरंग, देनी थी किसी बंदिश को साज़.

बादल की एक गर्जन ने, सपनों से मुझे जगाया,
शुरू किया मैंने सफ़र, और खुद को उड़ता पाया.

हवा के झोंकों से मेरी, कुछ बदलती जाती थी डगर,
डर सा आया कुछ मेरे ज़ेहन में, कहाँ ले जा रहा था ये सफ़र.

क्या हुआ कहीं अगर मुझे, मिल न पाएं सागर नदी,
बन न जाऊँ छोटी सी पोखर, मैं किसी कूचे गली.

क्या हुआ कहीं अगर मुझे, मिल न सके खेत और खलिहान,
 मिल न जाऊँ मिटटी में मैं, कहीं किसी सेहरा वीरान.

ज़हमत के इस अंधियारे में, कुछ उजाला यूँ  मुस्कुराया,
जब सबा की सुहबत में, दूर मुझे सूरज नज़र आया.

 देखा झाँक के मुझमें उसने, नेक था मेरा ईमान,
 मुझमे सिमटे सपनों से फिर, उसने रंग दिया ये आसमान.

और दिया ये आसरा, कि हों इरादे नेक अगर,
मुश्किलें हल हों जाती हैं, और खुद ही बन जाती है इक डगर.

बनना भी हो पोखर एक छोटी, होना है वो सबसे आसान,
खेलेंगे जब बच्चे उसमें, बस बन जाना है उनकी मुस्कान.

ना दे भी सकूं अगर मैं, किसी बंदिश को कभी साज़,
कोयल के गाने का साथ दे देगी, मेरी रिमझिम की आवाज़.

और मिलना भी हो अगर मिटटी मैं मुझे, ना उसमें समाये रह जाना है,
बनके खुशबू  इक सौंधी सी, इस फिज़ा को मुझे महकाना है.  

तेज़ है  हवा अब भी मगर, नहीं रहा ज़ेहन में डर,
मिल गयी थी दिशा मुझे, और मिल गयी थी इक डगर.

Saturday, March 7, 2009

बूँदें

फिर आज रात बरसात आई है,
बूंदों में समेटे जाने कितनी यादें लायी है,
कुछ आँखों को अपनी नमी,
कुछ होंठों को अपनी मुस्कान फिर याद आई है।

लायी है वो अपने साथ,
गीली मिटटी की एक सौंधी सी खुशबू,
वो कागज़ की नाव बनाते हाथ,
वो हर बारिश में भीग जाने की आरज़ू।

वो सौंधी खुशबू जो भूल सी गई है कहीं,
ज़िन्दगी की इस दौड़ में,
वो नन्ही आरज़ू जो मुरझा सी गई है कहीं,
मन्ज़िलों की इस पौध में।

वो आरज़ू जो थी सच से भी सच्ची,
अब उसको नहीं खोना है,
इन बूंदों में हैं जैसे सिमटे लम्हें,
मुझे तो बस वैसे ही जीना है।

Friday, December 19, 2008

Gift of Life


While a sea has its waves and a river has its fall,

There was a small pond of water, that was always at stall.

Sometimes the pond wondered, what it would be like,

To move like a river, and have sea like tides.

Dream it would often, as an ocean so deep,

And as water abound, moving down the steep.

One fine evening, as the sun set in the skies,

Near the pond came a girl, with two beautiful eyes.

Her eyes looked so pure, free from any guise,

Every time the pond averted, they called for a reprise.

Her eyes reflected a journey, no river could describe,

Leave aside ocean, they were as deep as the skies.

Forever the pond had wished, to move and sway and tide,

All it wanted now was to sit there all its life.

The pond though knew in heart, such moments often cease,

The eyes, as if heard that, and a tear they released.

A tear with her heart, encased in a tiny whit,

A tear meant for the pond, for it to be kept as a gift.

It tasted sure like ocean, and was as pure as the shrine,

With the silence of a river, it was pond’s gift of all times.

It became a part of the pond, within it as it pervade,

It fulfilled all the wishes, pond had ever made.

The tear gave the pond, a new meaning to its life,

Remembered the pond forever, those ‘beautiful eyes’.